e premte, 23 shkurt 2007

hamara kumu



पुराने जमाने मे गेहू पिसते हुए पनघट चक्की, बिना बिजली से चलने वाली चक्की, यह चक्की पानी के बहाव से चलती है, ये चक्की नदी के कीनारे होती है,
इसकी पिसे हुए आटे का स्वाद बडा ही ला- जवाब होता है,



पन चक्की











हल बहाता हुआ कीसान, वहर रे मोती खैर (फरक)










हल बहाता हुआ कीसान
























नदि के कीनारे भीमु निकालते हुए महीला, इस पे से जो धागा जैसा निकलता है, वो रसी बनाने के काम आता है






भीमु निकालते हुए महीला


जगल से घास लाने को जाते हुए महीला,















घास की तलाश मे जंगल की ओर जाते महीला


चिड के ऊचे-ऊचे लम्बे वृक्ष आकाश को चुमते हुए ये वृक्ष, पहाडो की सुन्दरता बिखेरते वृक्ष














चिड का जंगल



ढलाईदार भवन, पहाडीयो की सुन्दरता निहारते हुए,












ढलाईदार भवन,



सेब के बगिचे, गनिया दोली













सेब के बगिचे


पहाडो की सडको मे सावधान करता ये पी. डब्लू. डी. का ये संकेत,










पहाडो की सडके




हरी भरी जगलो को निहारती हरीयाली










अपनी सुन्दरता निहारता जंगल


पानी के नोला,










पानी के नोला


















पहाडो की खेती






पहाडो की खेती




जगलो के बीच से रास्ता






जगलो के बीच से रास्ता





सुन्दर शहर






सुन्दर शहर














प्रात कालीन सूर्य का दृश्य कोशानि








कोशानि प्रात कालीन सूर्य का दृश्य

सन्ध्या कालीन सूर्य का दृश्य कोशानि









सन्ध्या कालीन सूर्य का दृश्य कोशानि














































































































































3 komente:

Anonim tha...

mera name Vinod hai mai Ranikhet ka newashi hu, but mari abhi current location Ghaziabad hai i like and very miss my ranikhet (Uttranchal)


all uttranchal people namshte

ok by by take care

Anonim tha...

I checked your site, i like it

k r joshi tha...

Dear Mahesh
I Have seen the site first time. its good. you are adivsed to update it by photograph of each familiy member....K R Joshi (Ghaziabad) (Kashkhit wale)